मित्रो लछ्मंनगढ़ नगर मैं एक बड़े ही प्रकाण्ड विद्वान् , धर्म ज्ञानी और शंकराचार्य के समकक्ष विराजमान होने वाले ब्राह्मण निवास करते है उनके सात पुत्र है वो कहते है न की पुत्रेष्णा कमेष्णा और ऐसी ही कुछ और इच्छाए आदमी के मन में होती है और वो भोतिक वासनाये आदमी को पथ भ्रष्ट तो करती ही बल्कि धर्म से भी भ्रष्ट कर देती है...इस ब्राह्मण के साथ भी ऐसा ही हुआ इस ने बहुत ही अच्छी शिक्षा प्राप्त की और अपनी संतानों को भी अच्छी प्रशासनिक शिक्षा दिलाई और उन्हें सरकारी सेवाओ में उच्च पदों पर पदस्थ भी करवाया परन्तु यह ब्राह्मण स्वयं समेत अपने सभी पुत्रो की जीवन की व्यावहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त नही कर सके अथवा करवा सके ...और परिणाम यह हुआ की जिस वयक्ति का गाव में सम्मान और समाज में प्रतिष्ठा होनी चाहिए थी उस व्यक्त और उनके सुपुत्रों का आज केवल कुछ तथाकथित महिमामंडित और जन्म से ब्राह्मण न की कर्म से को छोड़कर सारा गाव और समाज तिरिष्कार और अपमान करता हो और अब तो यह ब्राह्मण (अब तो मुझे उसे ब्राह्मण कहने में भी शर्म महसूस हो रही है) कुछ ऐसे कृत्य भी करने लगा है जिसे ब्राह्मणों के लिए निषेध माना गया है ....कुछ प्रवर्तिया और क्रिया कलापों का तो मैं यहाँ उल्लेख कर रहा हूँ जैसे दुसरे की सम्पति पर अधिकार करलेना किसी का खेत हड़प कर उसकी जीविका को ही छीन लेना किसी का घर हड़प कर उसका आवास छीन लेना और तो और अगर कोई शांति से सब कुछ सहन करने के बाद भी चुप रहता है वो भी इन्हें गवारा नहीं उन्हें भी यह व्यक्ति झूठे केश और मुकदमे लगाकर परेशान करता है ....अब आप ही बताये की ऐसा व्यक्ति ब्राह्मण कहलाने और शंकराचार्य के समकक्ष विराजमान होने लायक है ........मित्रो में यहाँ पर एक फोटो अपलोड कर रहा हु उस से आप को इस बात का खुलाशा हो जाएगा की मैं किस की बात कर रहा हु....
जय श्री कृष्णा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें